Friday 22 July 2016

क्या हम भारतीय कहलाने लायक हैं?

क्या हम भारतीय कहलाने लायक हैं?


भारत देश, जिसमे 700 से अधिक भाषाए बोली जाती है, भगवान को 36 करोड़ से अधिक रूप में पूजा जाता है, जिसने हमको गणित, विज्ञानं, आयुर्वेद की शिक्षा दी, जिसने हमको खाने के लिए अनाज, पढ़ने के लिए स्कूल, और सोने के लिए भूमि दी, हमने उसको क्या दिया कभी इसपे विचार किया है? क्या हम वाकई अपने आपको भारतीय कहलाने लायक समझते हैं?



आज 1.5 लाख से अधिक भारतीय विधार्थी विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने जाते है, जिसमे 99% कभी लौट कर भारत वापस नहीं आते। क्या वे ये भूल जाते है की जिस ज्ञान के बल पे उनको विदेशी यूनिवर्सिटीज में एडमिशन मिला है, वो भारत ने ही प्रदान किया है। क्या ये उनकी जिम्मेदारी नहीं है की जिस देश ने उनको सशक बनाया है, वे यथा अनुसार उसकी प्रगति में हाथ बटाये?

हमे जब कोई दूकानदार एक चीज के दो ब्रांड दिखता है, एक "मेड इन इंडिया" (जिसे लोग लोकल भी बोलते हैं) और दूसरा इम्पोर्टेड, तो हम इम्पोर्टेड सामान लेने में ज्यादा रूचि दिखाते है। कपड़ो में ही अगर आप ब्रांडेड लेना चाहते हैं तो जम वन हुसैन, यूनाइटेड कलर्स ऑफ़ बेनेतन, लेवी, यु एस पोलो जैसे कम्पनीज के कपडे खरीदते है, जो सब बहार की कंपनी है। यहाँ तक की हम भगवान की मूर्ति भी अब "मेड इन चायीना" खरीदते हैं।

क्रिकेट के मैच के दौरान, भारतीय टीम को चीयर करके, हम अपने आपको भारत का सबसे बड़ा देशभक्त मानते हैं। पर हम अपने आपको राज्य, धर्म, जात, भाषा के नाम पर बाँट कर रखते हैं। चाहे शादी करनी हो या किसी को घर किराये पर देना या जॉब देनी हो, तब ये चीजे बहुत जरूरी हो जाती है और हम अपनी भारतीयता भूल जाते हैं।

पश्चिमी देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी अगर कुछ भी कह दे तो हम उसको झट से मान जाते है। जैसी अगर वो कहता है की भगत सिघ देशद्रोही थे, हम कहते है सही है  । अगर वो कहता है की ऐलोपैथीक दवाइया सबसे अच्छी है, हम कहते है सही है। पर जब भारत में