प्रिये मित्रो,
यह मेरा प्रथम हिंदी ब्लॉग है। जहाँ हमारे देश में इंग्लिश भाषा का प्रयोग अधिकतर होने लगा हैं, वही इस ब्लॉग के माध्यम से, मैं इस ब्लॉग के माध्यम से अपनी मात्र भाषा हिंदी के प्रचार में योगदान देना चाहता हूँ। मैं मानता हूँ की इंग्लिश भाषा सीखना आवश्यक है, खासकर इस भूमंडलीकरण (ग्लोबलाइजेशन) के युग में, जहाँ अक्सर लोगो को देश विदेश के लोगो से वार्तालाप करनी होती है और उसमे इंग्लिश ही एक सार्वजानिक भाषा होती है। परन्तु इस के चलते हम अपनी मात्र भाषा को अनदेखा नहीं कर सकते। चीन, फ्रांस, रूस, जर्मनी जैसे अनेक देश हैं जहाँ की सरकार अपनी अपनी मात्र भाषाओ को प्रोत्साहन देती हैं। वहां की जनता भी इंग्लिश की उपेक्षा, अपनी भाषा का प्रयोग करने में रूचि दिखती है। वहीं हम भारतीय अपने बच्चो को बचपन से अ, आ, इ, ई, की जगह A, B, C सीखते हैं। आँख, नाक, कान की जगह आईज, ईयर्स, नोज सीखते हैं। हमारे दादा दादी अपनी माता को "माँ" कहते ते थे, हम "मम्मी (Mummy)" कहते है और आगे आने वाली पीढ़ी "मॉम (Mom)" कहती है|
क्योकि मेरी मात्र भाषा हिंदी है, इसलिए मैं हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करने की कोशिश करता हूँ। जिसकी भाषा तमिल है, उससे तमिल का अधिकतर प्रयोग करना चहिये। यही चीज मलयाली, कन्नड़, बंगाली और अन्य भाषाओ के साथ होना चहिये। लेकिन ये दुःख की बात हैं की आज भी हमारा देश भाषाओं के नाम पर बिखरा हुआ है। जब दक्षिण भारत से कोई व्यक्ति, अपनी यथा शक्ति अनुसार, हिंदी बोलता है तो उत्तर भारत में उसके बोलने के लहजे का मजाक उड़ाया जाता है। इसी प्रकार जब अभिनेता निर्देशक कमल हसन जब अपनी फिल्मो का नाम हिंदी/संस्कृत में रखता है तो दक्षिण भारत में ये एक राजनितिक मुद्दा बन जाता है की उसकी फिल्मो का नाम तमिल में होना चाहिए। इसी तरह ऊपर वाले को अगर GOD कहा जाये तो वो सभी धर्मो को माननिये होता है। वही अगर कोई अगर कहे की उस ऊपर वाले को "भगवान" या "खुदा" कहे तो वो एक राजनितिक मुद्दा बन जाता है क्योंकि कुछ लोग कहिंगे की भगवान और खुदा अलग अलग समुदाय की मान्यता है। ये बात गौर करने वाली है की GOD एक इंग्लिश शब्द है जिसका हिंदी में अनुवाद "भगवान" होता है और उर्दू में "खुदा" है।
करीब २० से ३० साल पहले कई लोग एक से ज्यादा भारतीय भाषा जानते थे। इंग्लिश में अच्छी पकड़ होने के बावजूद उनको हिंदी, उर्दू और बंगाली इत्यादि भाषाओ की अच्छी लिखित और मौखिक जानकारी होती थी। स्वामी विवेकनन्द हिंदी, इंग्लिश, बंगाली, जर्मन, ईरानियन के साथ साथ उर्दू भी बोल लेते थे। जहा इंग्लिश में बोलना आज कल फैशन मन जाता है, वही कई नेता अभिनेता ऐसे है जिनोने हिंदी को ही अपना फैशन बना लिया है। कौन भूल सकता है अमिताभ बच्चन का के बी सी में "द्वितीय" बोलना या "ताला लगाया जाये"।
इस चिट्ठा (ब्लॉग) का उद्देश्य केवल यह की हमें अपनी अपनी मात्र भाषाओ का प्रयोग करना चाहिए। मैं आशा करता हूँ की आप लोगो को मेरा ब्लॉग पसंद आएगा।
धन्यवाद,
अयान
Ayaan aapka hindi blog jagat mai swagat hai, aapki yah yatra hindi bhasha ke prachar-prasar mai sahayak bane
ReplyDeleteHi Sanjay ji,
DeletePahla comment karne ke liye dhanyawad! :)
Ayaan
अपना ब्लॉग में अपना फोटो अपलोड करे एवं आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएँ ,साथ में अधिक अधिक ब्लोग्स को फलो करे तभी आप अधिक से अधिक लोगों की रचनाओं के संपर्क में आ पाएंगे | आपका स्वागत है !
ReplyDeleteप्रसाद जी
Deleteमेरे ब्लॉग पर आने का धन्यवाद। आपका सुझाव उचित है। मैं ऐसा ही अनुसरण करूंगा।
अयान
वेरिफिकेशन हटा दें
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